एक प्रेम कहानी मेरी भी
अमनदीप का नामकरण एमपी ने‘रामजी’ किया था । मुझे पता नहीं कि उसका यह
अजीब नाम कब और क्यों पड़ा । हो सकता है शायद इसिलए क्योंकी वह स्वभाव का
सीधा-सादा था । होस्टल मे हमलोग के विपरीत वह बिलकुल
निशाचर नहीं था और
उसके कमरे की बतियाँ ठीक 11 बजे बुझ जाती थीं। कभी-कभार एमपी, हैप्पी
कोई टिप्पणी नहीं